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November 08, 2014

छलावा क्या है?

इस संसार मेँ मनुष्य चौबीसोँ घंटे शरीर की सेवा-सुश्रूषा मे लगा रहता है। शरीर की एक भी इच्छा अपूर्ण नहीँ रहने देता, हर मांग की पूर्ति करता है। मगर जो इसका मालिक है, कर्ता-धर्ता है, जिसके कारण

इसकी कीमत है, उस आत्मा का गुणगान कभी नहीँ करता। उस आत्मा को कभी धन्यवाद नहीँ देता है।
उपर्युक्त बात को इस छोटे-से उदाहरण द्वारा भी समझा जा सकता है कि एक महिला ने सुनार से एक नथनी बनवाई जिसे उसने बड़ी मेहनत से बनाया। नथनी बहुत ही अद्भुत थी। वह महिला नथनी को पाकर नाच उठी, कारण कि उसकी मनोकामना पूर्ण हो गई थी। अब वह महिला हमेशा उस सुनार के गुणगान करने लगी। किन्तु उसने एक बार भी उस ईश्वर का गुणगान नही किया, जिसने उसे नाक दी है।

ऐसी दशा लगभग सभी की देखी जाती है। हमेँ यह याद रखना चाहिए कि शरीर मकान है और आत्मा मकान का मालिक है। मालिक के बिना मकान खण्डहर कहलाता है और आत्मा के अभाव मेँ शरीर मुर्दा कहा जाता है। मनुष्य को मृण्मय को नहीँ, चिन्मय को पूजना चाहिए क्योकि जो चिन्मय अर्थात् शाश्वत है केवल वही हमारा है, उसी पर हमारा अधिकार है। शेष सब छलावा है।

23 comments:

Sanju said...

Bahut hi umda post hai.
Aabhar!

JEEWANTIPS said...

Very Nice post..
& welcome to

My Blog

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Sunder

Kailash Sharma said...

बहुत सार्थक प्रस्तुति...

के. सी. मईड़ा said...

शिक्षाप्रद आलेख....

Himkar Shyam said...

सुंदर और सार्थक...आभार

कविता रावत said...

शरीर के साथ मन की शुद्धि जरुरी है यही हमें उस परम परमात्मा से जोड़ता है ..
बहुत बढ़िया सुविचार प्रस्तुति

देवदत्त प्रसून said...

सुन्दर प्रस्तुति !

virendra sharma said...

yahi यही तो पहचान का संकट है इस पूरी शती का। It is a crisis of wrong identity .

Suman said...

मृण्मय चिन्मय दोनों एक दूसरे के बिन बिलकुल अधूरे है ! जीवन में जो भी मिला सब स्वीकारने योग्य लगा मुझे एक को भी अस्वीकार किया तो बहुत दुःख हुआ ! आभार !

कविता रावत said...

सार्थक प्रस्तुति !

virendra sharma said...

सुन्दर मनोहर

राजीव कुमार झा said...

बहुत सुंदर विचार.

प्रतिभा सक्सेना said...

संयम और विवेक का अभाव ही मूल कारण है कि वह भ्रम को वास्तविकता मान बैठता है.

Shanti Garg said...

सभी पाठकोँ को नववर्ष की अग्रिम बधाई।
नई पोस्ट शीघ्र प्रकाशित....

JEEWANTIPS said...

Happy new year from JEEWANTIPS

Shanti Garg said...

सभी पाठकोँ को नववर्ष की बधाई।
नई पोस्ट शीघ्र प्रकाशित....

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर विचार.

Jyoti Dehliwal said...

बहुत बढ़िया सुविचार...

Anonymous said...

अच्‍छा ब्‍लाग। लिखते रहिए। http://natkhatkahani.blogspot.com

Madan Mohan Saxena said...

सुन्दर सटीक और सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
कभी इधर भी पधारें

Unknown said...

Thank you very much for making us understand the fact of the life, very much enlightening. We do understand the importance but we forget it conveniently.

Unknown said...

Thank you very much for making us understand the fact of the life. It is really enlightening, unfortunately we forget it conveniently.