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August 19, 2015

नैतिकता पर हावी भौतिकता

वर्तमान 

  मेँ भौतिकता का स्तर नैतिकता से कहीँ अधिक ऊँचा है, इतना अधिक कि नैतिकता बहुत पीछे छूट चुकी है। भौतिकता मनुष्य का जीवन विलासितापूर्ण बना देती है,यदि यह कहेँ तो कोई अतिशयोक्ति न होगी कि भौतिकता एक
ऐसा फल है जिसका स्वाद हर मनुष्य चखना चाहता है फिर भी वह थोड़ा ही स्वाद ले पाता है। इसी अधूरे स्वाद को पूरा करने की सोच से अनैतिकता का जन्म होता है और मनुष्य अपनी भौतिकता की पूर्ति हेतू धन अर्जित करने के लिए अनैतिक और गलत साधनोँ का इस्तेमाल करता है। युवा वर्ग भौतिकता के प्रति ज्यादा अधिक और जल्दी आकर्षित होता है और यह आकर्षण समाज मेँ अपराधीकरण को बढ़ावा देता है। इसका एकमात्र सरल उपाय संतोष है क्योकि इसका स्वाद चखने वाला भौतिकता से दूर रहता है।

27 comments:

JEEWANTIPS said...

सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

सुशील कुमार जोशी said...

सत्य है ।

Himkar Shyam said...

बहुत सुंदर और सत्य...आज समाज और जीवन के हर एक क्षेत्र में नैतिक मूल्यों का ह्वास तेजी से हो रहा है। धन-दौलत के आगे संस्कारों की कीमत कम हो गयी है। नैतिक मूल्य हमें उचित-अनुचित आचार व्यवहार का ज्ञान कराते हैं। जो समाज नैतिकता से विमुख हो जाता है, उसकी अवनति तय है।

प्रभात said...

सुन्दर व प्रभावी विचार

नीरज गोस्वामी said...

Bahut Sahi kaha aapne...achchhe sachche vichar

Shanti Garg said...

श्याम जी,
बहुत सही कहा आपने
आभार!

Madhulika Patel said...

बहुत सच बात लिखी है आपने । मेरी ब्लॊग पर आप का स्वागत है ।

Udan Tashtari said...

सत्य...

कालीपद "प्रसाद" said...

सत्य वचन

रचना दीक्षित said...

सुंदर विचार.

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और सार्थक पोस्ट...भौतिक सुखों की दौड़ में हम संतुष्टि के आनंद को भूलते जा रहे हैं...

राजीव कुमार झा said...

बहुत सुंदर और सार्थक विचार.

पूनम श्रीवास्तव said...

shanti ji mere blog par aane ke liye aapko bahut bahut badhai
aapki post bahut hi sarthakta avam sachchai liye hue hai.
bahut hi saargarbhit abhivyakti----

विकास कुमार said...

आप के विचारों का सम्मान करता हूँ लेकिन जिस तरह आपने युवा और अपराधीकरण को जोड दिया है उससे असहमत हूँ हाँ ये अलग बात है कि भारत युवाओं का देश है तो आनुपातिक रूप से संख्या में ज्यादा दिखता है वरना सच तो है कि समाज का हर वो युवा जो थोडा सा भी जागरूक है वो अपने भविष्य की चिन्ता में इतनी डूबा हुआ है और ये उसकी मजबूरी की अति हो जाती है कि वो अपने ऊपर हुए जुल्मों को भी सह लेता भविष्य निर्माण के नाम पर आपको कितने ही एसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगें जिसमें छात्रों पर पुलिस का या प्रशाषन का अत्याचार तब होता है जब वो अपने अधिकारों की जायज माँग के लिए याचक की मुद्रा में होते हैं और आप उस पीढी की कारगुजारियों पर भी विश्लेषण कीजिए जो तथाकथित सभ्य है और यौन आचरणों में सबसे ज्यादा लिप्त है हाइवे जैसी फिल्म को भी ध्यान कीजिए या फिर ( राम तेरी गंगा मैली हो गएी) अाशाराम से ले कर महिला पाखंडी राधे तक की कहानी तो आपको पता ही होगी

Shanti Garg said...

विकास जी,
सर्वप्रथम तो आपका मेरे ब्लॉग पर आकर अपने विचार व्यक्त करने के लिए धन्यवाद।
दूसरी बात यह है कि आप मेरी पोस्ट को दुबारा पढ़ेँ क्योकि आपकी टिप्पणी के अनुसार युवा वर्ग व अपराधीकरण को जोड़कर बताया गया है जबकी पोस्ट के अनुसार स्वयं की भौतिकता की पूर्ति करने मेँ असमर्थ युवा अनैतिक हो जाता है और ऐसा प्रत्येक युवा नहीँ होता है।

Sanju said...

बहुत ही उम्दा भावाभिव्यक्ति....
आभार!
इसी प्रकार अपने अमूल्य विचारोँ से अवगत कराते रहेँ।

अजित गुप्ता का कोना said...

भौतिकता से अनैतिकता नहीं आती। लेकिन भौतिकता की लिप्‍सा से अनैतिकता जरूर आती है। युवा पीढ़ी जितनी भौतिकता के करीब है उतना ही वे नैतिकता के भी करीब है।

Shanti Garg said...

अजित जी,
अतिभौतिकतावादी अनैतिकता का शिकार होते है और प्रत्येक व्यक्ति ऐसा हो, यह आवश्यक नहीँ है।

Anonymous said...

बहुत खूब। अच्‍छी रचना की प्रस्‍तुति।

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

क्‍या बात

Anita said...

बहुत सही कहा है आपने..भौतिकता की दौड़ में मानव आज मूल्यों से दूर होता जा रहा है..

Unknown said...

सत्य वचन
http://savanxxx.blogspot.in

JEEWANTIPS said...

बहुत ही उम्दा भावाभिव्यक्ति....
आभार!
इसी प्रकार अपने अमूल्य विचारोँ से अवगत कराते रहेँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

ज्योति सिंह said...

सत्य वचन ,सुन्दर लेखन

ज्योति सिंह said...

सुन्दर विचार

JEEWANTIPS said...

सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....

Unknown said...

सुन्दर विचार
http://savanxxx.blogspot.in